Friday, December 16, 2022

અહિંસાની વ્યાખ્યા

" સ્વાર્થ દ્રષ્ટિએ દુઃખ દેવાના ઇરાદાથી કોઈને દુઃખ દેવું એ હિંસા છે, તેમ ન કરવું તે અહિંસા."

- મહાત્મા ગાંધી

સંદર્ભ - 

તા. ૨૫-૯-૧૯૨૮ ના રોજ કિશોરલાલ મશરૂવાળા ને લખેલ પત્ર માંથી

ગાંધીજીના હદયને ગોડસેની ગોળીઓએ ...

❛❛ ગાંધીજીના હદયને ગોડસેની ગોળીઓએ વિંધ્યું તે પહેલાં તેણે ગીતાને અને હિંદુ ધર્મમાં રહેલા સત્યને વીંધી નાખ્યાં હતાં.પહેલી ગોળી ગીતાહદયને વાગી, બીજી હિંદુ ધર્મના હદયને અને ત્રીજી ગાંધીજીના હદયને.❜❜

- કિશોરલાલ મશરવાળા

હરિજનબંધુ, ૮-૨-૧૯૪૮, પૃ. ૨૪ 

Thursday, December 15, 2022

ઉડવું છે;

ઉડવું છે; પછી જોઉં કે કોણ ચપટી મારીને હેઠું પાડે છે.

- ભાર્ગવ મકવાણા 

રીક્ષા ચાલકો બસ સ્ટોપ પર ઉભા રહેતા હોવાથી મુસાફરોને મુશ્કેલી

 રીક્ષા ચાલકો બસ સ્ટોપ પર ઉભા રહેતા હોવાથી મુસાફરોને મુશ્કેલી


Tuesday, December 13, 2022

મેરે પ્રિય આત્મન

 Mere Priy Atman (मेरे प्रिय आत्मन)


...मैंने भी कुछ बीज बोये थे और फिर उनमें अंकुर आए और अब फूल लग गए है। उन फूलों की सुगंध से मेरा जीवन भर गया है। उस सुगंध के कारण अब मैं किसी और ही लोक में हूं। उस सुगंध ने मुझे नया जन्म दिया है और अब जो मैं साधारण आंखों से दिखाई पड़ता हूं, वहीं नहीं हूं। ...कुछ क्रांतिबीज हवाएं मुझसे लिए जा रही हैं। मुझे कुछ ज्ञात नहीं कि वे किन खेतों में पहुंचेंगे और कौन उन्हें संभालेगा। मैं तो इतना ही जानता हूं, उनसे ही मुझे जीवन के, अमृत के और प्रभु के फूल उपलब्ध हुए हैं और जिस खेत में भी वें पड़ेंगे, वहीं की मिट्टी अमृत के फूलों में परिणत हो जाएगी। - ओशो (क्रांतिबीज)

... सत्य निरंजन ऐसे ही निष्ठावान हैं। उनकी श्रद्धा मुझमें गहरी है। उनका लगाव गहरा है। चुपचाप छाया की तरह यहां वे मेरे काम में लगे रहते हैं। जो लोग पूना में मेरे बहुत निकट आये हैं, उनमें से निरंजन एक हैं। ओशो (मैंने रामरतन धन पायो) ये संस्मरण बहुमूल्य है क्योंकि ये और कहीं भी उपलब्ध नहीं हैं सिवाय बागमार जी की स्मृतियों के। कहते हैं, ‘ईश्वरस्य निःश्वसितः वेदाः’। ईश्वर ने श्वास छोड़ी और वेद जन्मे। महापुरुषों के बाबत यही सच है, वे सहजता से जो कहते हैं वही ज्ञान बन जाता है। वे ओशो के वचन भी ईश्वर के निःश्वास ही हैं। सहज ही बातचीत में, आते जाते, ओशो के मुंह से झरे हुए मोती हैं जो बहुत जतन से संजोये गए हैं। बागमार जी ने इन मोतियों को बिखरने नहीं दिया वरन् अपनी स्मृति मंजूषा में संभाल कर रखा। तीक्ष्ण स्मृति का वरदान मिला है उन्हें। जो भी सुनते हैं उसे शब्दशः प्रस्तुत कर सकते हैं। इसके कई उदाहरण आप इस किताब में पाएंगे। उनकी असाधारण स्मृति आज हम सबके लिए सौभाग्य बनी है।



author

Sw Satya Niranjan (P.C.Bagmar)

ડબ્બલ એન્જિન સરકાર

ભૂપેન્દ્ર સરકાર 2.O